Getting My Shiv chaisa To Work
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दिवाली से पहले बन रहा गुरु पुष्य योग, जानें सबसे अच्छा क्यों है?
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
लिङ्गाष्टकम्
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ वेद नाम महिमा तव गाई।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
Glory to Girija’s consort Shiva, that is compassionate to the destitute, who normally guards the saintly, the moon on whose forehead sheds its gorgeous lustre, As well as in whose ears tend to be the pendants with the cobra hood.
जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।
जन्म जन्म के पाप more info नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥